यह पुराना प्रसिद्ध मंदिर है जो आलप्पुष़ा जिले में है । यह मंदिल वर्तुलाकार में हैं। मंदिर की मुख्य मूर्तियाँ शिव और पार्वती हैं । अन्य मंदिरों की तुलना में इस मंदिर में, दो मुख्य जगह है - एक शिव के और एक पार्वती के । शिव देव पूर्वदिशा की ओर और पार्वती पष्चिम दिशा की ओर । मुख्य मंदिर चोटीदार है जिसमें तांबा लगाया गया है । देवी की मूर्ति पंचलोहों से निर्मित है । शिवलिंग सोने से मंडित है और उसमें अर्धनारीश्वर का अंकन है । अन्य मूर्तियाँ गणपति, शास्ता, चण्डिकेश्वर, नीलाग्रीवन, गंगा, नागदेव और श्रीकृष्ण की है ।
यह मंदिर पेरुंतच्चन की मूर्तिकला को नमूना बनाकर निर्मित है । 18 वीं सदी में पूरा मंदिर जल गया था । बाद में उसका पुनर्निमाण वंजीपुष़ा तंपुरान के किया । परंतु कूत्तंबलम का पुनर्निमाण नहीं हुआ क्योंकि इसका निर्माण पेरुतंच्चन ने किया था । उसमें प्रस्तुतकर्ता की छाया रंगमंच में नहीं पड़ता था । मुखमंडपम पूरा का पूरा अतिशय कलाकारी से लकड़ी में बना है ।
अन्य मंदिरों की तुलना में इसकी बड़ी खासियत है । इस मंदिर का उत्सव है त्रिपुत्तालम को उपजाऊपन का प्रतीक है । यह उत्व समय सीमा में चाक्रिकता से मनाया जाता है । इस मंदिर को शक्तिपीड़ाम भी पुकारते हैं ।