कोल्लम जिला के पत्तनापुरम तहसील के कल्लडा नदी के किनारे यह मंदिर स्थित है । यहाँ की मुख्य मूर्ति अय्यप्पन है जो बालरूप में है । केरल के 108 शास्ता मंदिरों में यह प्रमुख है । कहा जाता है कि यहां की मूर्ति की स्थापना परशुराम ने की थी । यहाँ अय्यप्पन के उग्ररूप और मंगलदायी रूप है । उपमूर्तियाँ हैं - शिव , यक्षि, विष्णु, गणपति, भूतत्तान, नागदेव, करुप्पस्वामी आदि ।
कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण पंतलम राजा ने किया था । परंतु शास्ता की मूर्ति कोट्टारक्करा के एक ब्राह्मण व्यक्ति को मिला था । पहले यह मंदिर कोट्टारक्करा राजवंश के अधीन में था । फिर तिरुवितांकूर देवस्वम बोर्ड के अधीन आया । यहां का तालाब विशेष महत्वपूर्ण है । त्वचा बीमारी को दूर करने के लिए यहाँ मीनूट दिया जाता है । यहाँ आनेवाले भक्त तालाब की मछलियों के देवस्वरूप मानते हैं । यहाँ मछली पकड़ना मना है । यहाँ के तांत्रिक रूप कोक्कालात्तु मठ के अधीन है ।
पूर्व कोल्लम के जंगली इलाके में यह मंदिर स्थित है । कुलत्तूप्पुष़ा के समीप से चेंकोट्टा राजमार्ग है । तमिलनाडु के क्त तेंकाशी -चेंकोट्टा-आर्यंकावु-तेन्मला रास्ते से यहाँ पहुँचते है । सबसे समीपवर्ती रेलवे स्टेशन तेन्मला है जो करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर है । अप्रैल-मई के विषु उत्सव यहां का मुख्य उत्सव है । मेडम 5 से 14 तक तिरु उत्सव मनाते हैं ।