Malayalapuzha Devi Temple

यह मंदिर केरल के मलयालप्पुष़ा में स्थित है । यहाँ देवी की मूर्ति है । यह केरल के सबसे शक्तिपूर्ण मंदिरों में एक है । इस मंदिर के भीतर वन्दन जगह, चुट्टम्बलम तथा बलिकलपुरा है । मंदिर 3000 साल पुराना है । मध्यम-व्यक्तिवाले इस मंदिर की पूर्वदिशा में एक मीनार है । अंदर भाग मुखमंडपम मुक्त आगताकार है । मूर्ति का निर्माण " कदुशर्करायोगाम ' रीति से बनाया है जिसमें लकडी, चिकनी मिट्टी, आयुर्वेद जडीबूटियाँ, दूध, घी, गुड, हल्दी, चंदन, कर्पूर, सोना, चाँदी, मिट्टी, प्राकृतिक गोंद आदि से हुआ है । मूर्ति में मानव शरीर के सभी अंगप्रत्यंगों का सम्मिश्रण है । अभिषेक के समय तंत्री प्राण प्रतिष्ठा करते हैं । यहाँ का शिव लिंग स्वयंभू है । माना जाता है यह पतले जा रहे हैं । इनके ऊपर एक "कोन्नमरम' है जो शिव लिंग को छाया देता है ।

यहाँ की मुख्य मूर्ति भद्रकाली है, जो पार्वती देवी का डरावना रूप है । परंतु भक्तों केलिए वह माँ जैसी है । मूर्ति साढे पाँच फुट ऊँची है । यहाँ मूर्ति पत्थर की नहीं अन्य वस्तुओं से बनी हैं । विनायक चतुर्थी, नवरात्रि एवं शिव रात्रि यहाँ के मुख्य उत्सव है । मंगलवार और शुक्रवार यहाँ मुख्य हैं । उस दिन यहाँ बडी भीड़ रहती है । कुंभम महीने के तिरुवातिरा नक्षत्र से यहाँ का उत्सव शुरू होता है । उत्सव के ग्यारहवें दिन मूर्ति को तालाब में डुबोकर आराट्टु चलाया जाता है । यहाँ का प्रसाद तोणिभरि पायसम्, नेयविलक्कु तथा निरपरा है । अभिषेक में भस्म, चंदन, तेल, दूध, गी, नारियल पानी आदि का इस्तेमाल करते है ।

 

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